STORYMIRROR

Shailaja Bhattad

Abstract

4  

Shailaja Bhattad

Abstract

श्री राम

श्री राम

1 min
6

धर्म निष्ठा का हुआ अद्वितीय अनुष्ठान है

रामलला का हुआ प्रतिष्ठान है।  

नवरस से संतुलित जिनका जीवन  

अयोध्या ही राम का अधिष्ठान है।

=========

राम की समग्रता, राम की दिव्यता, रामचरित्र अनिवार्य है।

राम का तप, राम का त्याग, राम का संकल्प शिरोधार्य है।

=======

हर चेतना के प्राण तेजपुंज महाप्राण है।

शाश्वत हमारी आस्था, शाश्वत हमारे राम है।

=========

भक्ति शक्ति हिय तल में नव ऊर्जा संचार है।

समरसता का हो रहा जन-जन में विचार है।

=========

समर तिमिर का होने लगा अस्त है।

 समरसता के भाव से जन- जन हुआ अभ्यस्त है।

 राम-राम, सर्वत्र राम,

 राम का वनवास समाप्त हो।

 राम का दर्शन, राम संकीर्तन हर हिय तल का गान हो।

=========

परम ईष्ट राम के सरयू ने चरण पखारे हैं।

राम राम श्री राम के हो रहे जयकारे हैं।

=========

 राम लला की प्राण प्रतिष्ठा

 भाव विभोर हुई सबकी निष्ठा।

 राममय है आज अयोध्या

  हो गई सार्थक धर्म निष्ठा।

==========

कीर्ति पताका फहराई है।

 स्मृति पटल पर अंकित छवि गहराई है।

 राम की स्तुति, राम की ज्योति, 

 राम की झांकी सजाई है।

 ब॔दनवार सजी घर-घर 

  अहर्निश अलख जगाई है।

   प्रमुदित है नर-नारी, 

   प्रमुदित है धरा सारी।

   कण-कण ने वीणा बजाई है।

   राम ही राम, सर्वत्र राम,

    राम की धुन सुनाई है।

    कथ्य बना कृत्य, संकल्प हुआ सत्य।

    राम चरित्र की फिर घर-घर गूंज सुनाई है।

    अतिशय उल्लासित मन ने

    सरगम की धुन बजाई है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract