श्री राम
श्री राम
धर्म निष्ठा का हुआ अद्वितीय अनुष्ठान है
रामलला का हुआ प्रतिष्ठान है।
नवरस से संतुलित जिनका जीवन
अयोध्या ही राम का अधिष्ठान है।
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राम की समग्रता, राम की दिव्यता, रामचरित्र अनिवार्य है।
राम का तप, राम का त्याग, राम का संकल्प शिरोधार्य है।
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हर चेतना के प्राण तेजपुंज महाप्राण है।
शाश्वत हमारी आस्था, शाश्वत हमारे राम है।
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भक्ति शक्ति हिय तल में नव ऊर्जा संचार है।
समरसता का हो रहा जन-जन में विचार है।
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समर तिमिर का होने लगा अस्त है।
समरसता के भाव से जन- जन हुआ अभ्यस्त है।
राम-राम, सर्वत्र राम,
राम का वनवास समाप्त हो।
राम का दर्शन, राम संकीर्तन हर हिय तल का गान हो।
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परम ईष्ट राम के सरयू ने चरण पखारे हैं।
राम राम श्री राम के हो रहे जयकारे हैं।
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राम लला की प्राण प्रतिष्ठा
भाव विभोर हुई सबकी निष्ठा।
राममय है आज अयोध्या
हो गई सार्थक धर्म निष्ठा।
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कीर्ति पताका फहराई है।
स्मृति पटल पर अंकित छवि गहराई है।
राम की स्तुति, राम की ज्योति,
राम की झांकी सजाई है।
ब॔दनवार सजी घर-घर
अहर्निश अलख जगाई है।
प्रमुदित है नर-नारी,
प्रमुदित है धरा सारी।
कण-कण ने वीणा बजाई है।
राम ही राम, सर्वत्र राम,
राम की धुन सुनाई है।
कथ्य बना कृत्य, संकल्प हुआ सत्य।
राम चरित्र की फिर घर-घर गूंज सुनाई है।
अतिशय उल्लासित मन ने
सरगम की धुन बजाई है।
