श्री कृष्ण
श्री कृष्ण
जन्म हुआ आधी रात को
द्वारपाल सब सो गये
यमुना जी ने रास्ता बनाया
जलजीव पीछे हो गये
पहुंच गये वो वृंदावन
मंत्रमुग्ध सब हुए
माखन खान लगे बचपन से
हांडी को बिन छुए
बरसाना से राधा रानी
दौड़ी दौड़ी आयीं
हज़ारों गोपियों में वही थीं
जो कान्हा जी के मन भाईं
प्रेम मिलन की चाह में, रुक ना पाई वो ज़रा
मिलन था दो आत्माओं का
साक्षी बनी थी धरा
लेकिन अपने प्रेम को छोड़
चल दिये वो आगे
राधा बिनती करे
कहां तलक वो भागे
युद्ध की भूमि पर अर्जुन को
गीता का ज्ञान था देना
अर्जुन के माध्यम से
दुनिया को संदेश था देना
उस युद्ध में जो 18 दिन था चला
करने थे अभी कार्य कयीं
रुकते कैसे वो भला
युद्ध उन्होंने करवाया
अहंकार को मरवाया
और गीता का ज्ञान दिया
कौरवों को हरवा कर
फ़िर द्वारिका को प्रस्थान किया
पावन हुई वो धरती
जिस पर उनके चरण पड़े
जन्मदिन है आज उन्हीं का
जो रंगरेज़ हैं बड़े.
