सुन साधो
सुन साधो
जो साथ नहीं जाना
उसका अहम कैसा
श्रेष्ठ होने का
फ़िर दिलों में रखें वहम कैसा
कोई बड़ा कोई छोटा नहीं
चेहरे पर कोई मुखौटा नहीं
वक़्त है साहब इससे डरे रहना
वक़्त की आंधियों से परे रहना
आज तेरा है तो कल उसका होगा
वक़्त का कहां पता किसका होगा
मुस्कुराना मुस्कुराहटें बांटना
ऐसे ही अपने कर्मा को काटना
ज़िंदगी जीने का यही सलीका है
जीवन में खुशियों का यही तरीका है
