श्रद्धा
श्रद्धा
विश्वास मन में तब आता है जब कहीं होता है अविश्वास,
अविश्वास को दूर करने के लिए होता विश्वास का प्रयास।
जब तक रहती है यह कश्मकश
श्रद्धा न आती है पास, मन इनसे ऊपर उठता चुपके से श्रद्धा आ जाती पास।
जब जागृत हो जाती श्रद्धा पूर्ण होते सारे काज,
मन को सुकून मिल जाता आत्मसंतुष्ट हो जाता।
असाध्य भी साध्य होता जीवन सफल हो जाता
सम्पूर्ण होते सगरे काज मन प्रफुल्लित हो जाता।
