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J P Raghuwanshi

Abstract

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J P Raghuwanshi

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शरद की रजनी

शरद की रजनी

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हिम सीकरों से भीग गई, धरती रानी।

शरद ऋतु आ गई, रात सुहानी।


लगती प्यारी चांदनी, निहारो बारंबार।

जितनी बार देखो, मनमोहक हर बार।


सोलह कलाएं लेकर, आ गया है चांद।

बालक गण, प्रमुदित भयें,करत कूदफांद।।


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