शराफत
शराफत


अच्छी नहीं होती शराफत आपकी,
हँसते हैं तो आज सब हम पर,
क्या मुश्किलों में हमने दर्द नहीं सहा,
क्या किस्मत की बेरुखी से हमने नहीं रोया,
तो क्या चट्टानों सी आफत से
घरबरा जाएं ?
क्यों ना पाणिनि बन भाग्य को
मेहनत से बदला जाय
दूसरों की हँसी से अपने को बदला जाय,
अपने पद निर्भरता से रखा जाए,
भाग्य का निर्माण खुद से किया जाए,
असफलता को सफलता में बदला जाए !