शोभित सुन्दर
शोभित सुन्दर


शोभित सुन्दर बिहार हमारा ,
प्राणों से भी बढ़कर प्यारा।
मिथिला की इस पुन्य धरा का ,
गंगा ने भी पाँव पखारा।।
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नए विश्व का यह उदगाता ,
शौर्य , गर्व और भागे विधाता।
संस्कृति का परकाहम लहराता ,
सदा सर्वदा सबको भाता ।।
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चन्द्रगुप्त सा न्याय हमारा ,
वैशाली गणतन्त्र था न्यारा ।
पितरों का यह शान्ति प्रदाता ,
सत्याग्रह की राह दिखाता ।।
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शान्ति- क्रान्ति का अद्भुत पारा ,
बोध गया से उठती धारा ।
समता लाई नया सबेरा ,
सुख - समृद्धि का पग - पग डेरा ।।
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बनेंगे अब हम विश्व में प्यारा ,
मोडेंगे हम विश्व की धारा ।
जन - मन की आंखो का तारा ,
बिहार बनेगा सबसे न्यारा ।।