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श्रेया जोशी 'कल्याणी'

Thriller

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श्रेया जोशी 'कल्याणी'

Thriller

शल्य चिकित्सा

शल्य चिकित्सा

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तुम्हारे मानस पुत्र ने तुम्हारी पीड़ा पहचानी,

मां भारती के घायल शीश की पीड़ा हर डाली।


ऐसा लगता है मानो खुशियां अब भी अधूरी,

आज कमी ख़ल रही हमें तुम्हारी।


पंक्तियां स्मृति पटल से झांक रहीं तुम्हारी,

मैं जी भर जिया,

मैं मन से मरूं।

लौट कर आऊंगा,

कूंच से क्यों डरूं।


लौटने शुभ अवसर न आएगा,

केसर की क्यारी में भी अब तिरंगा लहराएगा।

लौट आओ पूजनीय।


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