शिक्षक वह दीया है
शिक्षक वह दीया है


शिक्षक वह दीया है, जो बालक के अंदर के अंधकार को अपने ज्ञान के प्रकाश पुंज से प्रकाशित करता जाता है।
शिक्षक वह दीया है, ( गुरु रामकृष्ण परमहंस )जो स्वामी विवेकानंद जैसा शिष्य दुनिया को दे कर दुनिया में ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।
शिक्षक वह दीया है जो बालक के अंतर्मन मन में सत्य का पुंज जलाता है।
शिक्षक वह दीया है जो बालक की योग्यता पहचान कर, उसकी योग्यता और क्षमताओं को बल प्रदान करता है उसका पथ प्रदर्शक बन जाता है।
शिक्षक वह दीया है, जो बालक के गुणों का बखान कर उसे सम्मान व आत्म विश्वास दिलाता है और उसकी कमियों को सुधारना उसे सिखाता है।
शिक्षक वह दीया है, जो बालक के असमझ के अंधियारे को दूर कर, उसे प्रकाश पुंज दिखलाता है अर्थात सही समझ को अपनाना सिखाता है।
शिक्षक वह दीया है, जो बालक की बातों को सुनता है और उसे मंच दिलाता है और सत्य का प्रकाश फैलाता है।
शिक्षक वह दीया है, जो बालक के सुप्त मन में चिंतन और जिज्ञासा का बीज पनपाता है।
शिक्षक वह दीया है, जो बालक की असफलता का तोड़ निकालकर बालक को सफल बनाता है।
शिक्षक वह दीया है, जो बालक की सही मायनों में नई सोच को दिशा दिखाता है और आगे लेकर जाता है।
शिक्षक वह दीया है, जो माता-पिता के बाद बालक का सबसे अच्छा शुभचिंतक बन जाता है।
शिक्षक वह दीया है, जो बालक को नीति शिक्षा के
द्वारा सम्मान के साथ जीवन जीना सिखाता है।
शिक्षक वह दीया है जो बालक के सद्गुणों को जानकर उसे जग में हीरे की तरह चमकने की प्रेरणा देता जाता है।
शिक्षक वह दीया है जो मनुष्य को सही अर्थों में मनुष्य बनाता है और उसे सदगुण, नैतिकता, रचनात्मकता, सृजनात्मकता के गुण सिखाता है।
शिक्षक वह नहीं, जो बुराई अनाचार और दुष्कर्म में लिप्त हो और अपने शिष्यों को गंदी राजनीति सिखाएं।
शिक्षक वह भी नहीं है, जो बालकों को अपमानित करें और हतोत्साहित करें, क्योंकि ऐसा कोई बालक नहीं, जिसमें कोई गुण ना हो।
शिक्षक वह ज्ञान का दिया है, जो शिक्षा देने वाला ज्ञान का पुंज है, जो सभी विद्यार्थी के लिए एक समान है।
इसीलिए तो कहा गया है
"गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा
गुरुर साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः"
जब गुरु रामकृष्ण परमहंस जैसा तब शिष्य स्वामी विवेकानंद जैसा ज्ञान का भंडार है
जब गुरु दादाभाई नौरोजी जैसा तब शिष्य महात्मा गांधी जैसा जगत में मानवता का अवतार है।
जब गुरु द्रोणाचार्य जैसा तब शिष्य अर्जुन जैसा वीर धनुषधारी है।
जब गुरु प्लूटो जैसा तब शिष्य अरस्तु जैसा महान जानकार है।
जब गुरु वाल्मीकि जैसा तब शिष्य राम जैसा महान मर्यादा का अवतार है।
" ऐसे महान गुरुओं को प्रणाम बारंबार है"