शिक्षक! शिष्य का मार्गदर्शक।
शिक्षक! शिष्य का मार्गदर्शक।


आज 21वीं सदी,
साइंस और टेक्नोलॉजी का बोलबाला,
हर बच्चा स्कूल जाता,
पढ़ता लिखता,
फिर नाम कमाता।
लेकिन हर शिष्य का मार्गदर्शक,
कई व्यक्ति करते,
सबसे पहले शिक्षक,
मां-बाप होते,
जो बच्चे में शुरुआती,
आदतें डालते,
और वो आगे चलकर,
उसको गुणवान बनाती।
फिर बच्चा स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालय में जाता,
वहां अलग अलग लोगों से सीखता,
सबसे अधिक प्रभाव,
उसके शिक्षकों का होता।
अगर शिक्षक हो बौद्धिक,
सर्वगुण संपन्न,
तो शिष्य भी कहां होते कम।
शिक्षक हर समय शिष्य का,
चरित्र निर्माण करता,
उसकी कठिनाई को आसान बनाता,
उसकी समस्याओं का समाधान करता,
उसको सही दिशा निर्देश देता,
हर चुनौती का मुकाबला करने की,
शक्ति देता,
उसको ऐसा व्यक्तित्व देता,
कि वो जिंदगी में,
कभी पीछे मुड़कर नहीं देखता।
ये माना भी जाता है,
अगर राष्ट्र को स्वावलंबी,
प्रखर और उन्नति वाला बनना,
तो उसके शिक्षकों को,
सबसे पहले वैसा बनाओ।