शिक्षक साधारण नहीं होते हैं
शिक्षक साधारण नहीं होते हैं
शिक्षक जीवन का गूढ़ सीखते हैं
फिर भी साधारण कहलाते हैं
यदि ये वास्तव में साधारण होते
तो क्या सफलता की राह दिखा पाते
लेकिन कुछ लोग इन्हें साधारण समझने की
भूल कर जाते हैं
इनके कपड़ों से ही इनकी पहचान कर जाते हैं
मूढ़ पैसों से ज्ञान को तौल जाते हैं
अरे इन्हें समझाये कौन कि पैसे ज्ञान
बिना टिक सकता है क्या
और ज्ञान शिक्षक बिना मिल सकता है क्या
अरे एक माँ जो जीवन दातृ कहलाती हैं
बाद फिर वो प्रथम शिक्षक भी कहलाती हैं
बिन शिक्षक ये रहस्य समझा पाता है कौन
फिर भी साधारण कहे जाने पर ये रह
जाते हैं मौन
समझ अबोध उसे माफ कर जाते हैं
बताकर सन्मार्ग उसका भी कल्याण कर जाते हैं
अरे जिन चरणों में स्वर्ण सुसज्जित राजा
छोड़ भगवान भी नतमस्तक हो जाते हैं
फिर भी कुछ लोगों द्वारा साधारण कहलाते हैं ।
