शिक्षा और पैसा
शिक्षा और पैसा
शिक्षा है जीवन का आधार
संस्कार, ज्ञान, योग्यता का भंडार।
शिक्षा का मोल, धन ही नहीं होता
शिक्षित धनी बन सकता हर बार।
शिक्षा और धन रखो गर
दोनों पलड़ों में, तराजू के।
धन से पलड़ा भरते जाओ
शिक्षा का हल्का, ना होवे तराजू के।
शिक्षा में ना, होता कोई शार्ट कट ना,
मंजिल होती आसान।
शिक्षार्थी को हमेशा परिश्रम
संयम, विश्वास की होती दरकार।
प्रलोभन, नकल, दादागिरी का
शिक्षा में, ना कोई स्थान।
शिक्षा इक तपस्या, साधना मन
से करने वाले, बनाते विशेष स्थान।
सोच यह समाज की है
बड़ी ही दूषित और घातक।
शिक्षा भी बिकती बाजार में
खरीदार रहता हमेशा भ्रामक।
ईमानदारी, प्रतिस्पर्धा से अर्जित
शिक्षा धन पर हमेशा भारी।
शिक्षा जगत का हो रहा,
ऐसे बंटाधार।
