"शीतकाल"
"शीतकाल"
अति सुन्दर, पावन लगे,
शीतकाल की शाम।
सीताफल आने लगें,
खूवै आवें जाम।
दिन की अवधि छोटी हुई,
रातें लम्बी होंय।
रजाई लागे भली,
तान पांव सब सोंय।
हाट बाजार सुन्दर सजे,
तरकारी की धूम।
रात-दिना एकै लगें,
छाई रहत है घूम।
तातो पानी सब पियें,
रसगुल्लों की बहार।
वरा मुगोड़ी बन रहें,
घर-घर डरें अचार।।