बेटियां
बेटियां
बेटियां रौनक घर की
बेटियां तो रौनक घर की
कोख में न उसको मारो,
जियो और जीने दो उसको
बचा लो आज तुम यारों।
आता है जब "रक्षा बंधन"
आती है बहना की याद,
बांधेगी जब हाथों में राखी
नहीं करेगी तुमसे फरियाद।
पत्नी बनकर आए घर में
साथ निभाए जीवन का,
महकाती है कोना कोना
खुशियों से घर आंगन का।
मां की लोरियां कौन सुनाए
कौन झुलाएगा फिर पलना,
उंगली पकड़ उसको थामे
कौन सिखाए उसको चलना।
नहीं रहेगी बहना की यादें
नहीं रहेगा पत्नी का प्यार,
मां की ममता व समर्पण
नहीं रहेगा यारों ये संसार।
मां, बहन, पत्नी को तुम
फिर कहां से ये लाओगे,
नहीं मिलेगी इस दुनिया में
ढूंढते फिर रह जाओगे।
न खेलों जीवन से उसके
सबक सिखो आज हत्यारों,
जियो और जीने दो उसको
बचा लो आज तुम यारों।