दोहा गज़ल
दोहा गज़ल
मानव जन्म सफल हुआ, कर सेवा पर पीर ।
प्रीत करो इंसान से, बदले तब तकदीर।।
गुजरते नही वक्त पल,अपनों के वार से,
अपने ही छलते रहें, मन हुआ तब अधीर। ।
सत कर्म करो जगत में ,मिले करनी का फल ।
कष्ट देख मत रोइये, रखिये मन में धीर। ।
भला करे जो सभी का, करें मान सम्मान।
मिलजुल कर सदा रहें, बरसता नहीं नीर। ।
होते वह बर्बाद ही, रखते हर दम मान,
सरलता का वास जहाँ ,चले सुखद समीर।।
