शीशे का दिल है
शीशे का दिल है
शीशे का
दिल है
मत तोड़ो
टूटकर
टुकड़ों में
बिखरेगा तो
पांव पड़ने पर
उनपर
शीशा तुम्हें भी
चुभेगा
जैसा करोगे
वैसा भरोगे
जिस राह चलोगे
जैसे चलोगे
मंजिल वैसी ही मिलेगी
एक एक करके
सबका साथ छोड़ते रहे
उन्हें दुत्कारते रहे
ठुकराते रहे तो
ठोकर लगी और
गिर पड़े तो
तुम्हें सम्भालने वाला
उठाने वाला भी फिर
कोई न मिलेगा।
