शीर्षक:सफ़ेदी में लिपटी व्यथा
शीर्षक:सफ़ेदी में लिपटी व्यथा
मन की व्यथा लिपटी रही
उस सफ़ेद रंग में अंतहीन दर्द बनकर
कफ़न सफेद डाल दिया गया
उसकी रूह पर अंतिम विदाई देते समय
कलाइयां सूनी कर दी गई उसी वक्त
उसकी अर्धांगिनी की और फिर
लिपटे हुए सफ़ेद रंग में नही रह पाया
उसकी माँग का वो चटक लाल सिंदूरी रंग
धो दिया गया और चढ़ा दिया गया
स्वेत वस्त्र शरीरयात्रा तक साथी बनाकर
व्यथा कब दिखाई दी किसी को
उस जिंदा को स्वेत वस्त्र में दफन कर
बस यहीं तक का सफर था रंगीन
बहा ले गया रंगीन सपनो के सच को
मौत का वो भयावह मंजर
बना दिया गया उस क़फ़न के साथ ही हमेशा
के लिए स्वेत वस्त्र को क़फ़न से मिलान कर
अनसुलझा सवाल अर्धांगिनी का यही कि
क्या ले गया जाने वाला अपने साथ..
जो मुझे लपेटा जा रहा हैं रंगहीनता में
मौत का सफेद हिस्सा जो रह गया
मेरे लिए पल पल जिंदा मरने को
आज ओढ़ लिया गया वही सफेद वस्त्र
जाने वाले के साथ ही जीते जी मर जाने तक
यही है अर्धांगिनी का पूरा सच
सच अर्धांगिनी का बताये कोई।