शिब रात्रि आई
शिब रात्रि आई
आओ मेरे शिव जी को देखो
निर्गुण निराकार को भजो
कितनी अनेको रूप हे
हर दिल में जो रहता हे
आओ मेरे परमात्मा को देखो
शंकर जी की करुणा को भजो
त्रिशूल त्रिताप हर लेता हे
जो मेरा शिव को याद करता हे
आओ मेरे भोले नाथ को पूजो
मन की मंदिर में भजो
महा शिव रात्रि आई हे
खुशियों को साथ लायी है
आई मेरे शंभु को ज़रा देखो
अपनी आत्मा में उनको भजो।
