कभी प्यार भी करो
कभी प्यार भी करो
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कबिता,कभी प्यार भी करो
सुरेस चंद्र पाढ़ी
कभी प्यार से तो बात किया करो
ऐसे दील को चोत् क्यूं देती हो
तुम अगर रूठ जाओगी बादल आ जाएगा
तुम अगर दिल को चोत् दे जाओगि आंसू निकल आएगा
में इतना मासुम तुम जानती हो
फिर भी क्यूँँ बार बार मुझे कस्ट देती हो
तुमहारि कटु बचन् चोत् देती हे
मेरे दिल दीमाक को हिला देती हो
कभी तुम भी मुस्कुराकर बात किया करो
मेरा दिल को ऐसी घायल मत करो
अपनी मीठी बात से मेरा मन को खुश करदो
मेरा हालत देख कर ऐसा तक लिफ् मत दो।