शहीदों का सम्मान
शहीदों का सम्मान
यूँ ही नहीं देश को अपने शहीदों पर गुमान होता है,
जो शहीद हुए हैं इतिहास में उनका अमर नाम होता है
परिजनों को छोड़ कर जाना कहाँ आसान होता है,
रोते है बिलखते है फिर सब्र की चादर ओढ़ लेते है,
सच है माता पिता का कलेजा भी महान होता है।
कदम कदम पर मुश्किलें और तूफानों का सामना होता है
धूप वर्षा ठंडी के थपेड़े उस पर खुला आसमान होता है
चाहते तो वो भी वातानुकूलित कार्यालय में मजे करते
पर दूसरों के सुख की ख़ातिर वो क़ुर्बान होता है।
पत्नी बच्चों को रोते बिलखता छोड़ चला जाता है,
कभी हँसी ठिठोलियों से गुंजित आंगन सुनसान होता है
माँ की गोद मे बेफिक्र सर रख सोने वाला सिपाही
देशहित ख़ातिर आज भारत माँ की संतान होता है।
थरथराती है धरती, थरथराता अम्बर, चीखता पाताल है
जब युद्ध छिड़ता देश में, संग मनयुद्ध भी घमासान होता है।
पुलवामा की अनहोनी पर दुखित पूरा भारत हुआ
बदले से कहाँ पूरा होगा जो देश का नुकसान होता है।
यूँ बदला ले ले कर अपनों की कहाँ भरपाई होती है
ये तो बस अरी को समझाना है, जो आसान होता है।
लोगों मे भी जोश पैदा हुआ जब सिपाही शहीद हुआ
देश पर मर मिटने वालों का ज़ज़्बा महान होता है
वो शहीद हुए है देश में उनका अमर नाम होता है।
