Shivam Antapuriya
Drama
पल भर ही मैं लिखता हूँ
कुछ ऐसी मेरी कहानी है।
आँख उठाकर देखो तुम
तो दर्द से सजी कहानी है।
आपदाओं का सै...
परिंदा
अम्बार
"अपना कहके"
"मुझसे जले"
"आपदाओं का सै...
प्रेम नहीं पह...
लाचार किसान
तुम्हारी यादो...
रक्षा का बंधन
पत्नी की करना सदा, कदर जीवन होगा न कभी, जहर पत्नी की करना सदा, कदर जीवन होगा न कभी, जहर
श्वेत रंग कहे शांति धरना, पावन भाव, प्रेम से बहना। श्वेत रंग कहे शांति धरना, पावन भाव, प्रेम से बहना।
हर पल अर्पण कर देना चाहती हूं विचारों की माला पिरोने में, हर पल अर्पण कर देना चाहती हूं विचारों की माला पिरोने में,
हर कुछ तो ख़ास था वक़्त वो भी जो फना करता रहा मुझे मुझमें ही, हर कुछ तो ख़ास था वक़्त वो भी जो फना करता रहा मुझे मुझमें ही,
नये वेषभूषा में खूब हमारा रंग निखर आया, मटमैले मन में फिर भी आज रावण नजर है आया। नये वेषभूषा में खूब हमारा रंग निखर आया, मटमैले मन में फिर भी आज रावण नजर है आ...
लाल दिखाये, साहस तुझमें, आक्रामक भाव जागते जिसमें। लाल दिखाये, साहस तुझमें, आक्रामक भाव जागते जिसमें।
देवों की आराध्य तू देवी, तुझसे आरम्भ और अंत भी तू ही॥ देवों की आराध्य तू देवी, तुझसे आरम्भ और अंत भी तू ही॥
जब किसी गृहिणी की जेब में जाए, बाजार आए, सभी का मनपसंद खाना बन जाए। जब किसी गृहिणी की जेब में जाए, बाजार आए, सभी का मनपसंद खाना बन जाए।
तुझे छोड़ किसे भजूँ कृष्ण, मन मंदिर छवि छाए रहीl तुझे छोड़ किसे भजूँ कृष्ण, मन मंदिर छवि छाए रहीl
यह अपने सारे ही संसार की। यह अपने सारे ही संसार की।
मैं, माँ की चटाई बिछाकर माँ का चश्मा लगाती हूँ और माँ की किताबों में खोजती हूँ माँँ...! मैं, माँ की चटाई बिछाकर माँ का चश्मा लगाती हूँ और माँ की किताबों में खोजती हू...
जो सत्यपथ का होता है, जानकार वो चलचित्र होता प्रसिद्धि हकदार जो सत्यपथ का होता है, जानकार वो चलचित्र होता प्रसिद्धि हकदार
तू करता जा बस, कर्म, बातों कर तू थोड़ी कम फिर देख, इस ज़माने का सब नजारा तेरा होगा तू करता जा बस, कर्म, बातों कर तू थोड़ी कम फिर देख, इस ज़माने का सब नजारा तेरा ह...
रूबरू कराये जो हक़ीक़त से ऐसी बात नहीं बहुत बदला है पर फिल्मों का लगाव वही रूबरू कराये जो हक़ीक़त से ऐसी बात नहीं बहुत बदला है पर फिल्मों का लगाव वही
मेरी ज़िम्मेदारियाँ मुझे मरने नहीं देंगी...! मेरी ज़िम्मेदारियाँ मुझे मरने नहीं देंगी...!
मासूम सी देखो इन गुड़ियों को, सनातनियों ने इनको देवी माना मासूम सी देखो इन गुड़ियों को, सनातनियों ने इनको देवी माना
हर कोना उमंग की लहर में डूबा था आज कोई कण छूटा ना था, हर कोना उमंग की लहर में डूबा था आज कोई कण छूटा ना था,
नफरत का जवाब कभी, नफरत से दिया नहीं मैंने, नफरत का जवाब कभी, नफरत से दिया नहीं मैंने,
जिसपर कृपा मात की होती, लौकिक-पारलौकिक इच्छा फलती। जिसपर कृपा मात की होती, लौकिक-पारलौकिक इच्छा फलती।
धधकता सूरज ढल रहा है, पर खेल पुराना चल रहा है। धधकता सूरज ढल रहा है, पर खेल पुराना चल रहा है।