शब्दानुभूति
शब्दानुभूति
शब्दों की अनुभूति और
शब्दों से विरक्ति
अपने-अपने पायदान पर कायम है
न हफीज की चिन्ता
न रियासत के खोने का डर
अजीज पड़ी चीजों से
बाशिंदा हम हशमत
रूबाइयां जरा तलख हुई
अरमानों के जोर में
बेगैरत का सबब हुआ
और करीनों की गिरफ्त
नगीनों की भरमार
शान-ओ-शौकत पूरी तरह बेकार.....।।
