अजीज पड़ी चीजों से बाशिंदा हम हशमत अजीज पड़ी चीजों से बाशिंदा हम हशमत
तारीख से तो हम आज़ाद कब से "देश से प्यार" की जुदाई फ़िलहाल और कितने दिन... तारीख से तो हम आज़ाद कब से "देश से प्यार" की जुदाई फ़िलहाल और कितने दिन...
हर रोज ढलते दिन के साथ परछाई की तरह बढ़ती है हर रोज ढलते दिन के साथ परछाई की तरह बढ़ती है
हर राज़ दिल का यूँ ही बताया नही जाता और खुल जाए जो राज़, राज़ माना नही जाता। हर राज़ दिल का यूँ ही बताया नही जाता और खुल जाए जो राज़, राज़ माना नही जाता।
शब्दों के सागर में गोते लगाता हूँ..! कुछ पंक्तियाँ कविताओं की ढूंढ लाता हूँ..!! शब्दों के सागर में गोते लगाता हूँ..! कुछ पंक्तियाँ कविताओं की ढूंढ लाता हूँ.....
फिर कुछ और नीचे धसं जाऊंगी तेरी जिंदगी में कभी ना आऊंगी!! फिर कुछ और नीचे धसं जाऊंगी तेरी जिंदगी में कभी ना आऊंगी!!