शब्द
शब्द
उम्र दराज़ के बक्से में
टटोल रहे थे पुरानी यादें
कबीरदास की एक रचना याद आई
शब्दों के धनी थे कबीर
शब्द के बारे में ही कहा है उन्होंने
शब्द सम्हारे बोलिये,
शब्द के हाथ न पांव
एक शब्द औषधि बने,
एक शब्द करे घाव ! "
इसपर हमारी श्रद्धा है
और लिखा
सुघड़ शब्द मुख बोलिए
सुंदर फूल समान
ना कोहूं को आहत करें
ना कटु करें सरोकार "
सुंदर शब्दों से
बनती हैं सुंदर पंक्तियां
पंक्तियां से बनती हैं
सुंदर कविताएं
सुंदर कहानियां
और मोहक बोल।
