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VIVEK ROUSHAN

Abstract

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VIVEK ROUSHAN

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शासक बहुत चालाक है

शासक बहुत चालाक है

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शासक बहुत चालाक है

उसने जनता की नब्ज़

पकड़ रखी है,

शासक अपने हर सम्बोधन


में वही बात कहता है जिससे

जनता का कोई सरोकार नहीं है,

शासक अपने साथ चुटकुलों की

गठरी ले कर चलता है,


जब-जब जनता उससे सवाल करती है

तब-तब वह एक चुटकुला निकालता है

और जनता की तरफ दे मारता है,


जनता अपने शासक के उदारभाव

को देखकर गौरवान्वित हो उठती है,

जनता उस चूटकूले में अपनी सारी


समस्याओं का हल ढूंढ़ने लगती है और

बिन समझे,बिन परखे अपने शासक का

अभिनन्दन करने लगती है,


जब कभी ये दौर किसी लोकतांत्रिक

देश में आता है तब जनता

गुलामी की तरफ अग्रसर हो रही होती है

या गुलाम बन चुकी होती है और

शासक लोकतंत्र को राजतंत्र में


बदलने में कामयाब हो गया होता है

या हो रहा होता है।


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