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shekhar kharadi

Romance

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shekhar kharadi

Romance

शाश्वत

शाश्वत

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मैं विलुप्त हो जाउं

शाश्वत रूपांतर होकर ,

अनंतकाल प्रेम समाधि में

संपूर्ण लीन हो जाउं 

हर बंधन से मुुुक्त होकर ,

आस्था से तपस्या करूँ...

हीम, पहाड़ी, जलधि में

युगों युगों तक स्थिरता बद्ध

कठिन से कठिन कष्ट भी

अपने देह पर हँसते हुए

सहजता से स्वीकार लूँ...

अंतिम श्वास तक तुम्हें..

प्रार्थना से माँग लूँ...

या मन चाहें वरदान में ।





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