शाहीन( एक परिंदा)
शाहीन( एक परिंदा)
तुम परवाज़ ले चुकी हो,
तुम को न कोई बाधा,
अब रोक सके है।
तुम को है आसमां को छूना,
तुम्हें सभी बाधाओं को
है तोड़ना।
तुम परवाज़ ले चुकी हो,
तुम को है इन ऊँचाइयों को,
है छूना।
तुमने दिया है उन सभी को,
झूठला।
जिसने कभी, तुम को आंका था,
कम।
तुम परवाज़ ले चुकी हो,
तुम को न कोई रोक सके
बाधा।
तुम शाहीन परिंदा हो
जो छूता है ऊंचाइयों को।
