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arun gode

Abstract

4  

arun gode

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सदाचारी बना कदाचारी

सदाचारी बना कदाचारी

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सदाचारी बना कदाचारी

एक अनुशासित, कर्मठ, कर्तव्यनिष्ठ,

सदाचारी, ईमानदार कर्मचारी.

फनं-फंनाते समय से पहिले ,

कार्यालय में दर्ज कि अपनी मौजूदगीं.


देख कर उसे लगा सह नहीं पाया,

शायद आज पत्नी की दादागीरी.

कार्यालय का काम –काज के वजह से ,

पति- पत्नी में शायद मची है तना-तनी.

 

उपर से अफसर की कल की दाट,

और सहकर्मियों की बौनी कुट्नीति.

प्रशासनिक मनौवैज्ञानिक दबाव तले,

काम- काज जल्दी निपटाने की जिम्मेदारी.


रोज सहकर्मियों की लेट-लतीफी की किरकिरी,

कैसे जवाब देगें अफसर के कल वाली डांट की ?.

इंतजार् में खडा था, किसी सहायक महिला कर्मचारी,

जल्दी आयेंगी तो निपटाउंगा फाईल जल्दी-जल्दी.


आदत से मजबूर महिला की देरी से उपस्थिति,

दोनो में हुई तु-तु मैं-मैं और कहासुनी.

महिला ने चिल्लाकर कहा मेरा नाम है बसंती,

मेरे पति छोड, किसी की भी नहीं सुनती.


अवसरवादी साथी ने जलाई आग की जोती,

आप ठीक कह्र रही ही है बसंती,

आप तो गलत कभी होही नहीं सकती,

लाचार सदाचारी बना आम कदाचारी, 


व्यक्त के नजाकत को महिला समझी

सहाब को देखकर अपनाली गांधीगिरी.

अफसर आने के तुरंत बाद महिला ने,

दर्ज की कैबिन में अपनी उपस्थिति.


मामले की गंभीरता को तोलते हुयें, 

महिला से अफसर ने दिखाई हमदर्दी.

बिगडे केस को सुलजाने कि अफसर ठानी,

दोपहर को दोनों कर्मचारीयों की रखी हाजरी.


दोनों को पक्ष रखने कि दिखाई दिलेरी,

आकस्मिक कारण से आज ही उसे हुई देरी,

मामुली जानकारी हेतु दिखाई कदाचारी.

वो जानकारी मैं मोबाईल पर भी देती.


काम में नहीं रहती कभी त्तपर और उत्तरदायी,

हमेशा धमकाती वो पति कि भी नही सुनती.

अफसर ने मुस्कुराते हुयें अदब से कहाँ, 

ये तो हैं घर- घर की आम कहानी.


ये बात तो मुझे भी हमेशा चुभती,

मेरी पत्नी मेरी भी बात नहीं सुनती.

सदाचारी ने कहा ये पति कि नहीं सुनती,

मेरी पत्नी भी मेरा नहीं सुनती,


काम कैसे करेगें बताओं अधिकारी, 

अगर ये हमारी नहीं सुनती.

महिला ने कहाँ मै क्या कर सकती,

जब इनकी पत्नी इनकी नहीं सुनती.


अधिकारीने कहा मामले को लगाव विराम, 

मुझे अभी और कभी किसी की नहीं सुननी.

दैनंदिन समय पर सिर्फ काम की होगी गिनती, 

वो कर्मचारी चाहे हो कोई भी पुरुष या नारी.


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