Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sangeeta Aggarwal

Inspirational

4  

Sangeeta Aggarwal

Inspirational

सच्ची खुशी

सच्ची खुशी

5 mins
365


" मम्मी जी दीवाली पास आ रही है आप मुझे बता दीजिये क्या क्या तैयारियां करनी है ?" कुछ महीने पहले ब्याह कर आई कनिका ने अपनी सास माधवी जी से पूछा।


" बेटा तुम कहाँ नौकरी के साथ इन तैयारियों मे पड़ोगी मैं हूँ ना ...!" माधवी जी बोली।


" पर मम्मीजी आप अकेले कैसे सब करेंगी मैं मैनेज़ कर लूंगी आप चिंता मत कीजिये !" कनिका मुस्कुरा कर बोली।


" ठीक है तुम इतना जिद कर रही हो तो बाज़ार के काम तुम कर लेना मैं लिस्ट दे दूंगी तुम्हे ..खुश अब !" माधवी जी हँसते हुए बोली तो जवाब मे कनिका भी हंस दी।


(ये है माधवी जी का परिवार जिसमे उनके पति आलोक जी ,बेटा नितीश बहु कनिका , एक छोटा बेटा नीलेश जो हॉस्टल मे रह पढ़ता था और दीवाली से दो दिन पहले आने वाला था। एक विवाहित बेटी नीतिज्ञा जो अपने ससुराल मे रहती है । कनिका और नितीश की शादी अभी चार महीने पहले ही हुई थी। दोनो जॉब करते थे। )


दो दिन बाद इतवार था तो कनिका माधवी जी से लिस्ट ले अपनी कार उठा बाज़ार चल दी। उसके पति नितीश को मिठाई और गिफ्ट्स का काम देखना था तो वो जल्दी ही निकल गये थे। इधर माधवी जी काम वाली के साथ मिलकर घर की साफ सफाई करवाने लगी।


" अरे ये क्या कनिका सारा बाज़ार उठा लाई क्या ?" कनिका के बाज़ार से लौटने पर माधवी उसके हाथ मे शॉपिंग बैग्स देख बोली।


" अरे मम्मीजी ये तो बहुत कम है मेरा मन तो और लेने का था !" कनिका सोफे पर बैठती हुई बोली ।


" देखो मम्मी जी ये दीवाली का सारा सामान जो आपने लिस्ट दी थी ..और ये आपके लिए साडी पापा का कुरता पजामा मैचिंग मैचिंग !" कनिका हँसते हुए बोली।


" तुम भी ना बेटा क्या जरूरत थी इन सबकी !" माधवी जी बोली।


" अरे मम्मी जी जरूरत क्यों नही ...अच्छा इसे छोड़िये ये देखिये ये नितीश और नीलेश के लिए कुरता पजामा और बेस कोट है ...ये नीतिज्ञा दीदी , जीजू और उनके बेटे के लिए ! ये शो पीस उस टेबल के लिए। आप देखती जाइये और बताती जाइये सब ठीक है ना !" कनिका एक एक बैग खोलती हुई बोली।


" तूने लिया है तो सब अच्छा ही होगा ना ...अच्छा ये बता अपने लिए क्या लाई है ?वो तो तूने दिखाया ही नही कोई सीक्रेट है क्या जो हमे नही दिखाना !" माधवी जी बहु को छेड़ती हुई बोली।


" क्या मम्मीजी आप भी ना आपसे क्या सीक्रेट! वो असल मे मम्मी जी मैं अपने लिए कुछ नही लाई !" कनिका मुस्कुराते हुए बोली।


" क्यो....??" माधवी हैरानी से बोली।


" मम्मीजी अभी तो शादी हुई मेरी सब कुछ है मेरे पास कितनी साड़िया तो अभी खुली तक नही फिर बेवजह क्यो पैसे बेकार करने !" कनिका बोली।


" पर बेटा है तो सबके पास सब कुछ फिर तुम सबके लिए इतना कुछ क्यो लाई ये पैसे बेकार करना नही है क्या ?" माधवी जी ने पूछा।


" मम्मी जी ये सब तो उपहार है आप सबके लिए मेरी तरफ से मेरी पहली दीवाली है इस घर मे तो इतना तो बनता है ना वैसे भी अपनों को उपहार देना पैसे वेस्ट करना थोड़ी ना होता इससे जो खुशी मिलती वो तो अनमोल होती है ना !" कनिका बोली।


" ओह्हो मेरी बहु तो बहुत समझदार और ज्ञानी है । रिश्तो की और रिश्ते निभाने की बहुत समझ है इसे तो !" ये बोल माधवी जी ने कनिका का माथा चूम लिया।


दीवाली की तैयारी जोर शोर से होने लगी । लाइट वाला आकर लाइट लगा गया उपहार बांटे जाने लगे। 


" कनिका जल्दी तैयार हो जाओ पूजन का समय हो रहा है !" दीवाली की शाम कनिका को रंगोली मे लगे देख नितीश बोला।


" हां बस हो गया!" कनिका रंगोली को फाइनल टच देती बोली।


" बहुत सुंदर रंगोली है भाभी ...देखो तो ये कपड़े कैसे लग रहे है ?" नीलेश तैयार होकर आया तो भाभी से बोला।


" अरे वाह् बेटा तू तो हीरो लग रहा है !" नितीश भाई से बोला।


" मेरी भाभी लाई ये कपड़े हीरो तो लगूंगा ही !" नीलेश कनिका के गले मे बाँह डाल बोला।


" बिल्कुल ...अब चलो मुझे तैयार होने दो वरना देर हो जाएगी।" कनिका बोली और तैयार होने भागी।।


सबने अच्छे से पूजन किया और एक दूसरे को मिठाई खिलाई।


" लो कनिका बेटा ये तुम्हारा दीवाली गिफ्ट ...मेरे और तुम्हारे पापा की तरफ से !" कनिका ने जब पूजन के बाद नितीश के साथ सास ससुर के पैर छुए तो माधवी जी उसे एक हीरे की अंगूठी देते हुए बोली !


" मम्मी जी पापा जी ये क्यो ?" कनिका हैरानी से बोली।


" और भाभी ये मेरी तरफ से वैसे छोटा सा गिफ्ट है पॉकेट मनी बचा कर लिया है मैने !" नीलेश उसे एक पर्स देता हुआ बोला।


" पागल ये छोटा सा गिफ्ट बहुत अनमोल है मेरे लिए मेरे भाई जैसे देवर ने जो दिया है !" कनिका नीलेश से गिफ्ट ले उसके गाल पर चपत लगाती बोली।


" और हम भी तो है.... लो कनिका ये मेरे और तुम्हारे नन्दोई की तरफ से तुम्हारे लिए गिफ्ट !" तभी वहाँ नीतिज्ञा आकर कनिका और नितीश की फोटो का कोलाज देती हुई बोली।


" ओल ये मेली तल्फ से !" नीतिज्ञा का छोटा सा बेटा अंश एक ग्रिटिंग देता हुआ बोला।


" ओह्ह मेरा बाबू कितना अच्छा है!" कनिका ने अंश को गोद मे उठा उसका गाल चूम लिया।


" मेली मामी भी तो अति है !" अंश कनिका का गाल चूमते हुए तोतली भाषा मे बोला तो सब हंस दिये।


"आप सब लोग मेरे लिए इतने सुंदर सुंदर उपहार लाये है !" कनिका खुशी के कारण रो पड़ी।


" अभी तो नितीश का उपहार बाकी है ..बता तू क्या लाया मेरी भाभी के लिए !" नीतिज्ञा बोली।


" वो दीदी ...मैं गोवा के टिकट लाया था कनिका को गोवा बहुत पसंद है तो सोचा दोनो ऑफिस से छुट्टी ले अगले हफ्ते चलेंगे !" नितीश मुस्कुराता हुआ बोला।


" आप सब कितने अच्छे हो मेरे लिए इतना सोचते हो पर इन सबकी जरूरत क्या थी ...मेरे पास तो सब कुछ तो है !" कनिका अपने आंसू पोंछती हुई बोली।


" हमें भी तो अपनों को उपहार देकर खुशी मिलती है और अपनों की खुशी अनमोल है ये हमे किसी ने बताया है !" सभी एक स्वर मे बोले तो कनिका हंस दी उसकी हंसी मे उसके पूरे परिवार की हंसी शामिल थी। 


ये सच है दोस्तों परिवार् मे प्यार हो तो उपहार मायने नही रखते पर अपनों के द्वारा प्यार से दिया उपहार अनमोल होता है। वो एहसास अनमोल होता है जिसमे हम खुद से पहले किसी ओर के बारे मे सोचते है । यही तो सच्चा परिवार होता है जिसमे एक दूसरे को खुश रखने की कोशिश की जाती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational