सच्चा इंसान : एक दर्द
सच्चा इंसान : एक दर्द
जीवन दर्द है हमारा,
जो मिटता नहीं कभी यारा
कितनी भी तुम कोशिश कर लो,
पर ये दर्द मिटता नहीं ना दोबारा
हमने सीख लिया है जीना
और इस दर्द में ही रहना
जो हर पल खामोश रहता,
उसको बेकार कभी ना समझना
उसके मन में ही होती हैं बातें,
उसकी अंखियों में हैं बरसाते
है इंसान बहुत वो गहरा,
जो हर पल खामोश रह रहा है
उसकी एक खूबी है ये,
हर पल चेहरे पर हंसी रहे
उस मुस्कान के पीछे,
जो वो दर्द है उसके नीचे
जो उस दर्द को पढ़ ले,
वही कोई शख्सियत है
वरना तो सही है दुनिया,
हम तो हर पल ही गलत है
टूटा हुआ ही कोई,
जुड़ना सिखा सकता है कहीं
खुद के हौसले टूट गए पर,
दूसरों को वो हौसले दे
उसकी हिम्मत जवाब दे गई,
सबको हिम्मत देता फिरे वो
खुद में सीख लिया है जीना
और इस दर्द में ही रहना
ऐसा अनुभव सुनहरा है,
जो उस गहरे व्यक्ति ने दिया
सारी दुनिया ही झूठी है,
बस एक सच्चा वो दर्द दे दिल है
जिसकी नजरें हैं हर पल झुकी,
उसकी नजरों में जरूर कोई बात छुपी
हैं पढ़ना भी आसान नहीं,
उसके गहरे मन को कहीं
वह पढ़ ले सबके मन की बातें,
किस के मन में क्या चल रहा कहीं
ऐसा शख्स खुद जैसे को ही
चाहता और पसंद करता हैं
ऐसा शख्स जिसे प्रेम करे,
वो उस पर लुटा दे सब कुछ ही
कुछ ना बाकी कहीं रहने दे वो,
खुद को भी उसमें ही कर ले वो
वह सबसे सच्चा रिश्ता चाहे,
सच्चे रिश्ते को दिल से निभाए
मरते दम तक वो जीना चाहे,
मरते दम तक साथ निभाए
ऐसी आत्मा है धन्य,
जो इस धरती पर आ जाए
उससे मिलने वाला हर खुश है,
जो ना मिल पाए वो पछताए।