सच
सच
ऑंखें बंद करने से क्या दिखाई नहीं देगा
ना सुनो तो क्या सुनाई नहीं देगा
बिन बोले पता किसी को क्या नहीं चलेगा
ये तो सच है
अपनी बात खुद ही कहेगा।
छुपाओ लाख इसको
करो चाहे खाक इसको
ये तो मिट ना पायेगा
सूरज के तेज को
बादल कब तक छुपायेगा।
बना लो कितने ही बहाने
चाहे कोई माने या ना माने
सच जानकर भी
क्यों बनते हो अनजाने
झूठ और फरेब का घर कभी तो ढहेगा
ये तो सच है
अपनी बात खुद ही कहेगा।
जो सच है
अपनी बात खुद ही कहेगा।
