सच बोल गया
सच बोल गया
बहुत बातें की सच बोल गया
समझाया कई बार सच बोल गया
वक़्त के गिरफ्त में है सारा जहाँ
फिर भी मैं आज सच बोल गया
तपता रहा खुद ही अकेले इन उसूलों से
मगर वजूद पाने में सच बोल गया
वो मुझे हमेशा झुकाता रहता है
खुद को उठाने में सच बोल गया
अभी मैंने अपने ख्वाबों का शीशमहल है बनाया
तू है उसकी रानी ये सच बोल गया।