ख्वाब देखता रहा
ख्वाब देखता रहा
मैं ख्वाब देखता रहा,
अपनी कामयाबी के हरदम,
मैं छोटा समझता रहा,
जो भी था साथ हमदम,।
अपने गुरूर में मैंने अपना ,
तोड़ लिया था सारा सपना,
ख्वाबों के सहारे जिंदगी थी,
जीवन में ना कोई बंदगी थी,।
आया समझ में जब तक ,
सारे ख्वाब उजड़ चुके थे तब तक,
ना बचा था कोई अपना ,
रिश्ते नाते सब हो गए सपना,।