दोस्त
दोस्त
एक समय था जब दोस्ती के,
अफसाने लिखे जाते थे,
लोग दोस्ती की मिसाल देते थे,
दोस्त बढ़कर होता था भाई से।
नए जमाने में दोस्त कहां है ,
सब मतलब के साथी हैं,
मतलब निकला तो भाई ,
तू कौन मैं कौन होता है।
दोस्त ही छुरा घोंप रहा,
पीछे मुड़ते ही दोस्त के,
दोस्ती के नाम पर दगा ,
दे जाते हैं सदा के लिए।