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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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दोस्त

दोस्त

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एक समय था जब दोस्ती के,

अफसाने लिखे जाते थे,

लोग दोस्ती की मिसाल देते थे,

दोस्त बढ़कर होता था भाई से।

नए जमाने में दोस्त कहां है ,

सब मतलब के साथी हैं,

मतलब निकला तो भाई ,

तू कौन मैं कौन होता है।

दोस्त ही छुरा घोंप रहा,

पीछे मुड़ते ही दोस्त के,

दोस्ती के नाम पर दगा ,

दे जाते हैं सदा के लिए।



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