सबकी यशोधरा बूढ़ी होगी
सबकी यशोधरा बूढ़ी होगी
सिद्धार्थ समझा नहीं जीवन का सरल गणित
चाहे अनचाहे प्रति पल आज बनता अतीत।
वह भी हाड़ मांस का हम सब जैसा ही था
वैरागी नहीं, पुत्र प्रेमी, भार्या अनुरागी था।
हठात देख बुढ़ापा हुआ अतिशय भयाक्रांत
मेरी यशोधरा भी बूढ़ी होगी हुआ सोच अशांत
एक रोज क्या मेरा नन्हा राहुल भी मर जाएगा
उस घड़ी को भी झेल जिन्दा रह पाऊँगा।
अनुरागातिरेक में बुढापा-मौत को रोकने चला
पा बोधिसत्व सबको ज्ञान देने निकल चला।
जीर्णता ही नवीनता के आगमन का संकेत है
मृत्यु ही जीवन का सत्य, अनमोल भेंट है।
सबकी यशोधरा बूढ़ी होगी, नियति का क्रम है
नर ना निराश हो आज मेरी, कल तेरी बारी है।