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Shakuntla Agarwal

Abstract Inspirational

4.8  

Shakuntla Agarwal

Abstract Inspirational

सब कठपुतली है ईश्वर की

सब कठपुतली है ईश्वर की

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सब कठपुतली ईश्वर की,

अपना - अपना किरदार निभा रहीं,

दुनिया एक रंगमंच हैं, 

 जिस पर सिक्का जमा रहीं,

डोर ईश्वर हाथ है,

जब चाहें खिंच जाये,

 जिसका जितना हिस्सा लिखा,


 उतना ही वो पाये, 

ईश्वर की माया सभी,

ईश्वर के हम दूत,

जो किरदार मिला हमें,

करते वही हुज़ूर,

माया के मद में भरकर,

इंसा गया बौराय, 

ईश्वर को कुछ समझत नहीं,

अपनी करनी पे इतराये,


समझ उसे आता नहीं,

 किस्मत का सब खेल,

 मिट्टी से जन्में सभी,

 मिट्टी में होंगे ढ़ेर,

नाटककार कोई और है,

पर्दा उठाये और गिराये,


डोर अपने हाथ लें,

पल - पल हमें नचाये,

सब कठपुतली ईश्वर की,

नाच रहीं दिन - रैन,

भाड़ा आत्मा का भर,

चल्दी जब हुई रैन,


बाज़ीगर की बाज़ीगरी,

समझ न पाये मनवा,

दुनिया में जन्म लेकर,

रिश्तों में आ उलझा,

 कोड़ी - कोड़ी माया जोड़ी,

उसे सहेजे फिरता,


 गाड़ी खरीदी महल बनवाये,

मद में चूर मिलता,

समझ नहीं आता उसे,

वह मूरत नश्वर सी,

डोर ईश्वर के हाथ,

हम सब कठपुतली ईश्वर की,


जन्म - मृत्यु, सुःख - दुःख,

रोग - शोक, हानि - लाभ,

 सब विधि हाथ,

तू क्यों चिंतित प्राणी,

जब ईश्वर तेरे साथ,

सौंप उसी को जीवन नैय्या,


तू क्यों बैठा बन खिवैया,

तारण - मारण हार कोई और है,

"शकुन" हम सब कठपुतलियाँ ईश्वर की।


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