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Mukul Kumar Singh

Inspirational

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Mukul Kumar Singh

Inspirational

सब छोड़ कर आगे बढ़ो

सब छोड़ कर आगे बढ़ो

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अजीब सी भावनाओं की तरंग, अच्छी हो या बुरी। फिर भी जीवन में लाती है उमंग, आनन्द और शोक में बनाती है दूरी। हसी तो तब याद आती है जब कोई दिखाता है गलतियां। अब क्या कहूं सम्हाला था तो उसीने अपनी परिस्थितियां। लेकिन तू परवाह मत कर क्योंकि तुझे आगे बढ़ना, देखो,देखो कभी रुकना नहीं चलते रहना हीं है तेरी सफलता की साधना। पड़ोसी का काम है आपकी आलोचना करना, परन्तु ध्यान न देना इन पर कभी न निराश होना है। जीवन में आलोचना भी आवश्यक है, इन्हें व्यर्थ न कहें उद्देश्य तो आपकी त्रुटियां बताना है। जन्म-मृत्यु के बीच कलह मान अपमान सब एक समाना, पुण्य सलिला भी सब झेले नहीं है कोई अभिमाना। छोड़ो छोड़ो सारे वैषम्यता पहचान है खुद की योग्यता,न जाने कितनी झेल बाधाएं मनु ने दिखाई खुद की क्षमता। कल-कल कब तक कहोगे तुम्हें भी तो कुछ करना है, आज-आज अभी तुम तुम न रहकर आप बनना। मत भूलो आकाश को लालिमा दे उगता हुआ सूरज बनना। मन से हारने पर युद्ध नहीं होती, सिंह बन शत्रु शिकार कर सामने आई युद्ध जीतना। सब निराशा छोड़ आशा का दामन थामो,कल तो वापस आने से रहा,आज को स्वीकार कर सफलता को चूमो। सब कुछ तुम्हारा है लेकिन आलस्य करने से रहा,खगराज वायु की गति धारक अपने पुरूषार्थ से छीनो। तुम तो तुम थे इसकी बेकार चिंता मत कर,बल विद्या बुद्धि के प्रकाश में तनावों से दूर रहो। तू तू कहना छोड़ कर, सबसे पहले आप बन दुर्बल की पूजा होती नहीं सबल बने रहो। सोचो मत राह बड़ी लम्बी है, कांटों से सज्जित तलवे लहूलुहान यंत्रणा भूल नई कहानी है लिखनी है। जाग जाग चारो तरफ फैली है आग,शमन करने को अनल पाहन स्ववक्ष चीर कर नदियों को दिया जीवन दान। एक छोटी सी प्रयास धैर्य लगन व साहस का साथ औरों के हित हो अमृत निर्माण। कोई बात नहीं तीक्ष्ण शब्दों के वाण तो चलते रहेंगे, पर अविचल अडिग कंटकों के राह में पुष्पों के सेज मिलेंगे। मुफ्त में अर्जित करने वाले भिक्षावृत्ति को बढ़ाएंगे, निर्विकार मेहनती उन्नत भाल विकास पथ देवों को प्रसन्न कराएंगे।


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