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Mukul Kumar Singh

Others

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Mukul Kumar Singh

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इण्डिया या भारत

इण्डिया या भारत

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धूम मच गई धूम मच गई, इण्डिया बन गया भारत।

विरोध होना था सो शोर मच गई, क्योंकि संविधान से यह शब्द हो जाएगा गायब।


ढ़ाई सौ वर्षों से पराधीनता के अभ्यासी, कैसे भारतीय कहलाएंगे?

आसान नहीं है मम्मी -मम्मा को कैसे मां कहकर पुकारेंगे

जानते हैं क्यों! क्योंकि इस भूमि का दुर्भाग्य है ,

सदैव रहा एकता का अभाव, परिणाम विदेशी से उत्कोच लेंगे।

अपने हीं हाथों भाई-भाई को मारेंगे जिनके रक्त का न बदलेगा स्वभाव।

तभी तो कवि कह रहा है ऐसा देश कहां धरती पर जिसके नाम का अनुवाद है।

आर्यावर्त -भरतखण्ड-जम्बूद्वीप वसुधा के आंगन में लक्ष वर्षों पूर्व मानव हुआ आबाद।

और इण्डिया का घुटी पी पीकर भारतीय कहलाने में शर्माते थे।

नागरिकता के कालम में इण्डियन लिख - लिखकर अघाते थे।

हास्यस्पद हो गई कटु सच्चाई, देशी सरकारों ने कह डाला भारत मेरा है महान है।

पन्द्रह अगस्त सैंतालीस के बाद दुर्बल हाथ, टूट गई थी जांघ।

लेकिन इण्डिया के बदले भारत ने ले ली लम्बी छलांग और जमीं से अम्बर गया लांघ।

आदिम युग में इण्डिया या भारत था कहां जो इतनी जल्दी बना महान।

हो भी क्यों नहीं, हैं तो ये इण्डियन गर्वित हर्षित राग रंग में डूबे हैं।

न तो इनकी कोई मातृभूमि, ये आगन्तुक हैं विदेशी हैं इण्डियन कहलाते हैं।

दुर्बल चित् वाले ही धर्म निरपेक्षता के गीत गाते इतराते -इठलाते हैं।

हर पल शीश झुकाने वाले कहते हम स्वाभिमानी हैं।

अपने संस्कारों का पता नहीं, सर पर ढोये दासता की निशानी है।

सरलता का ढोंग रचे, सूरज को पश्चिम में देखा करते हैं।

नहीं निकलती देश प्रशंसा, करते अपनी ही जाती का अपमान।

ऋषि -मुनियों को कल्पित कह - कहकर आधुनिकता का करते बखान।

हर पल केवल संस्कृति में दोष देखते संशोधन से डरकर भागे यही इनकी खास पहचान।

सन् सैंतालीस से पहले आर्यावर्त को मिटा डाला था। 

उस समय भारत था कहां, जो मुगलों से आक्रांत हुआ। 

इस्ट इंडिया कम्पनी ने इण्डिया बनाया, तब भारत कैसे हुआ स्वाधीन ।

जिस माटी में रचे-बसे त्याग-तेज-शौर्य-वीर्य पूर्ण विशेषता के धारक वाहक,

आज भी अम्भि -जयचंद-मीरजाफर (नेताओं) से हैं परेशान।

कर डालो शिरच्छेद इन श्वानो का, इण्डिया नहीं भारत ही बने महान।


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