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Mukul Kumar Singh

Inspirational

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Mukul Kumar Singh

Inspirational

कहने से कुछ नहीं होता है।

कहने से कुछ नहीं होता है।

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बदल दूंगा बदल दूंगा बदलने की हिम्मत रखता हूं मिटा दूंगा मिटा दूंगा भेद-भाव मिटाने की क्षमता रखता हूं। सत्य कह रहा हूं कहने से कुछ नहीं होता है।हाथ पर हाथ धरे रहने से विवेक शुन्य हो जाता है। मैं असंभव को संभव कर दिखाउंगा, पर्वत का सिना चिर कर नया मार्ग बनाउंगा। प्रतिदिन सूर्य शीश उठाता है, अंधेरे को मार भगाता है। नदियों की धारा प्रवाह हममें आगे बढ़ने की जीद्द जगाती है। मानव जाति की अवैचारिक भाव जीव जगत को प्राणहीन कर देती है। रोकेंगे इस अमानवीय कृत्य को जो पृथ्वी को मिटाने वाली है। कैसे भूल गए हैं मानवीय धरम जीओ और जीने दो का ज्ञान देने वाली है। नित नये प्रकाश से अम्बर नहाता, पवन की थपकियों से धरती पर श्यामल छाई। कटिबद्ध हैं आपसी सहयोग से एकता लाने को। पूर्वजों ने जैसे हीं साहस दिखलाई बस काठ का चक्का आगे आगे भागा उन्नत सभ्यता निर्मित करने को। उन्हीं से सिख हमें मिली नव नव पथ गढ़ने को। कर्म हमारी पूजा है पिछे मुडकर नहीं देखेंगे, जीव की सेवा ईश्वर सेवा समाज -देश कल्याण करेंगे। आज हम वही मनु संतति हैं जो केवल बड़बड़ नहीं करते हैं, बाघ को मारा भालू को मारा मक्खी न मार पाया ऐसा नहीं होने देंगे। ऐसा विवेक विचार मन में जागरूकता लाउंगा, असमानता को दूर कर देश को विश्व श्रेष्ठ बनाउंगा। 


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