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ER SIDDHARTH YADAV

Romance

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ER SIDDHARTH YADAV

Romance

सावन

सावन

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बादलों के झूले जहाज बने,

आँखों के तारे सजावट बने।

धरती की छांव में भिगोता सावन,

बरसाती रातों का महमान बने।


मिट्टी की खुशबू बिखराए सब तरफ,

आगे पीछे फूहारे उड़ाते हर रफ्तर।

जीवन को रंगीन कर देता सावन,

हार-जीत, दुःख-सुख का मोल गिनता।


गर्जते बादल गुनगुनाते आते,

झूम के प्यासी धरती पर बरसाते।

रंगीन चादर से ढका होता सावन,

हर दिल में खुशियों की उमंग जगाता।


बूंद-बूंद करके अश्क बनकर टपकते,

मौसम को नई उम्मीदें देते।

जीवन की सृजनशीलता को जगाता सावन,

अपनी मुसीबतों को जगमगाता।


सावन की रिमझिम लहरें नचाती हैं,

प्यार और आनंद की कहानी सुनाती हैं।

मन को छूने वाले बोल बोलता सावन,

हर दिल में तरंगों की छलक लाता।


इस बारिश के जबरदस्त राग में,

हृदय की स्वरमयी आवाज में।

बसंत की प्रेमरंगीनी मिलती है सावन,

हर आँखों को सौंदर्य से भर जाता।


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