तलाशी — एक रूह की गिरफ्तारी
तलाशी — एक रूह की गिरफ्तारी
जब मोहब्बत जुर्म बन जाए और रूह संदिग्ध,
तब आत्मा की परतों में छुपे इश्क़ की तलाशी होती है।
ये कविता एक ऐसी ही दर्दभरी, प्रेमभरी और आत्मा को झकझोर देने वाली गवाही है —
जहाँ प्रेम की कोई दलील नहीं, बस समर्पण है।
