सावन की पहली बरसात
सावन की पहली बरसात
बहुत दिनों से दिख रही थी
सावन की घटाएं उमडी पड़ी थी
मगर बरसात आ नहीं रही थी।
हमको निराशा में वापस डूबा रही थी औरअचानक आसमान में बदली छाई थी
मन में बहुत खुशी छाई थी
कि आज तो बरसात बरसेगी
आज तो बदली बरसेगी।
शाम बदली कहीं चली जाती और हम बरसात बिना तरसते रह जाते ।
और वापस गर्मी की उमस में खो जाते।
मगर आज का दिन बहुत अच्छा आया।
बरस ही पड़ा आज सावन यहां ।
देख मन हर्षित हुआ ,
थोड़ा बरसात में हम भीग भी लिए
अभी भी बरसात है चालू बरस रहा है सावन जमकर यहा।
मन में भी उमंगें भी उठ रही है।
यहां हर मौसम अच्छा लगता है।
बरसात के समय बरसात, सावन में जो बरसात ना आए तो मन को धक्का लगता है।
बरसात के आने से वातावरण पुरा खुशनुमा हो गया है।
पेड़ पौधे बहुत खुशी से नहाए हुए लहरा रहे हैं।
नीचे भरे हुए पानी में बच्चे नाव को तेरा रहे हैं।
उनको देख मुझे भी अपना बचपन याद आ रहा है।
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
बीते हुए दिन मेरे वे पल छिन।
