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Arun Gode

Inspirational

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Arun Gode

Inspirational

सावित्री बाई फुले

सावित्री बाई फुले

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रुढीवादी,वर्णवादी व्यवस्था में एक आशा की किरण,

गुलामों की गुलाम, हिंदु महिलाओं के लिए एक वरदान.

महात्मा फुले को था अपने पत्नी पर विश्वास, अभिमान,

सावित्रीबाई ने अपने कार्य से बनाई खुद की पहचान.

लक्ष्मी-खंदोजी की सुपुत्री बनी प्रतीक, नारी शक्तिमान,

भारत की प्रथम शिक्षिका संचालक का पाया सम्मान.

अपने पती से की प्राथमिक शिक्षा घर में ग्रहन,

फातिमा बेगम के साथ किया शिक्षक पाठ्यक्रम प्रशिक्षण.

सभी कन्याओं के लिए पुने में की पाठशाला प्रारंभ,

पाखंडी वर्णवादी व्यवस्था के लिए था ऐतिहासिक ग्रहण.

समाज के सभी तबको से मिला प्रोत्साहन,

तीन कन्या पाठशालायें की पुना में स्थापन.

महार,मांग,ब्राह्मण कन्याओं ने की शिक्षा ग्रहन,

पाठशाला में बनाया समानता का वातावरण.

सावित्री-ज्योतिबा की सोच थी एकसमान,

शिक्षा से होगा नारी और देश का उत्थान.

असामाजिक तत्वों ने खडे किए कई व्यवधान,

सावित्री के उपर फेक कर गोबर,किचड दैनंदिन.

महिला सुरक्षा,उत्थान, सशाक्तिकण व सामाजिक सम्मान

सावित्री ने आरंभ किये महिला बहुउद्देशीय संस्थान.

बालहत्या प्रतिबंधक गृह,महिला सेवा मंडल किए स्थापन,

महिला समाज सुधारीका, नारीवाद जननीका कार्य महान.

समाज सेविका और मराठी कवियत्री की थी पहचान,

सतिप्रथा, शिशुहत्या,बालविवाह का नहीं किया समर्थन.

सावित्री ने इन प्रथाओं के विरुध्द किया जंग का ऐलान,

अंग्रेज सरकारने इन प्रथा के विरुध्द बनाया कानुन.

महिला अधिकार ,विधवा पुनर्विवाह का किया समर्थन,

इन बातों के किया जन-अंदोलन पुरा जीवन.

काव्य फुले,बवन काशि सुबोध रत्नकर है,

मातोश्री सावित्री के सुप्रसिध्द लिखान.

ब्राह्मण विधवा के संतान का किया पालनपोशन,

बालक का यशवंत किया नामकरण.

समाज सेवा के लिए कराया चिकित्सका अध्ययन,

प्लेग मरिजों की सेवा से मातोश्री का संक्रामण से निधन.

किसानों के लिए किया किसान स्कूल स्थापन,

दलित महिलाओं को शिक्षित करने का चलाया अभियान.

मातोश्री सावित्री का जन्मदिन पर करना है स्मरण,

राष्ट्रिय शिक्षक, महिला उत्थान दिन का देकर सम्मान.


 

 

 



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