Shailaja Bhattad
Classics
अकेलेपन के
इतने
आदी भी
न हो जाओ कि,
किसी का साथ भी
साथ ना लगे।
इंद्रधनुष
दुर्गा माता
श्री राम
माँ जगदम्बा
होली
भक्त वत्सल रा...
बसंत पंचमी-1
वसंत पंचमी
बहुत कम हैं जिंदगी और मौत का फासला ! बहुत कम हैं जिंदगी और मौत का फासला !
हर चीज है कठपुतली, वक्त के हाथ नाच रही... हर चीज है कठपुतली, वक्त के हाथ नाच रही...
ऊँगली थाम नेह से तुमको जनक ने चलना सिखलाया। ऊँगली थाम नेह से तुमको जनक ने चलना सिखलाया।
वादा करके भूल गया वो छोड़ गया आँसू मेरे नसीब में। वादा करके भूल गया वो छोड़ गया आँसू मेरे नसीब में।
पिता के वंश के अंश हो इसलिए पिता का सम्मान करो। पिता के वंश के अंश हो इसलिए पिता का सम्मान करो।
जब चलते थे तो उन्हें मैंने सीना ताने चलते देखा है... जब चलते थे तो उन्हें मैंने सीना ताने चलते देखा है...
क्षण भंगुर संसार है यह, मिट्टी का है तू, मिट्टी में मिल जाएगा। क्षण भंगुर संसार है यह, मिट्टी का है तू, मिट्टी में मिल जाएगा।
मैंने माना तू बड़ा है प्यासा रखता है मगर ए समंदर तू है छोटा मुझ नदी के सामने। मैंने माना तू बड़ा है प्यासा रखता है मगर ए समंदर तू है छोटा मुझ नदी के सामने...
तुम कहते हो मुझे याद आती है राधा की लेकिन राधा तो बसी है तुम्हारे ह्रदय में। तुम कहते हो मुझे याद आती है राधा की लेकिन राधा तो बसी है तुम्हारे ह्रदय में।
अपना हित खुद रखो सुरक्षित अपने नीचे अपनी जमीन बनाये रखो। अपना हित खुद रखो सुरक्षित अपने नीचे अपनी जमीन बनाये रखो।
मत भूलों की एक दिन सबको बूढ़ा होना है, देखेंगे जो बच्चें अपने वो ही फिर दोहरायेंगे। मत भूलों की एक दिन सबको बूढ़ा होना है, देखेंगे जो बच्चें अपने वो ही फि...
ठोकर खाता हूं उठता हूँ फिर भी चलता जाता हूँ। ठोकर खाता हूं उठता हूँ फिर भी चलता जाता हूँ।
एक कोरे पन्ने पर ढाई आखर प्रेम का बनाए। एक कोरे पन्ने पर ढाई आखर प्रेम का बनाए।
सब लोग शतरंज हैं जानते फिर भी दांव पेच से बाज नहीं आते यहाँ। सब लोग शतरंज हैं जानते फिर भी दांव पेच से बाज नहीं आते यहाँ।
इसी भारत भूमि पे फिर लें जन्म जहाँ शहादत पाई। इसी भारत भूमि पे फिर लें जन्म जहाँ शहादत पाई।
कभी बंटता था ज्ञान यहाँ पर आज बट रहा धन ज्ञान पर धन की मार बच्चों की शिक्षा आज हो रहा बेड़ा... कभी बंटता था ज्ञान यहाँ पर आज बट रहा धन ज्ञान पर धन की मार बच्चों की शिक्ष...
जाने मस्त कहाँ व्यस्त हो गया जो मानवता अब रुग्ण हो गई। जाने मस्त कहाँ व्यस्त हो गया जो मानवता अब रुग्ण हो गई।
ओल्ड होम पहुंचा रहा है। ओल्ड होम पहुंचा रहा है।
पुरुषोत्तम श्रीक्षेत्र के श्रीजगन्नाथ हैं उत्कलीयों के जीवंत ठाकुर, जीर्णवेर परित्याग जीर्णोद्धार... पुरुषोत्तम श्रीक्षेत्र के श्रीजगन्नाथ हैं उत्कलीयों के जीवंत ठाकुर, जीर्णवेर ...
यही जीवन का सार है। यही जीवन का सार है।