साथ रहना ही है
साथ रहना ही है
यहाँ जीना है तो कभी मरना भी है
साथ मिलकर यहां खुश रहना भी है
हर दु:खों में साथ या हो खुशियों की रात
बस एकता के साथ यहां रहना भी है।
दु:ख आते भी हैं दु:ख जाते भी हैं
कभी आते हैं खुशियां हँसाते भी है
चाहें आए तूफान आए नदियों की बाढ़
साथ बहना भी है मिल के रहना भी है।
आज है दु:ख तो अभी सहना ही है
आएगा एक दिन खुशी मेरा कहना भी है
चाहें कुछ भी हो जाए साथ रहना ही है
साथ रहना ही है साथ रहना ही है।
कवि अमित प्रेमशंकर ✍️
एदला, सिमरिया, चतरा (झारखण्ड)