सार्थकता जीवन की
सार्थकता जीवन की
लेकर न आए थे कुछ भी जग में,
जाने से पहले करें कुछ ऐसा काम।
जो सार्थक हो जग में आना अपना,
याद करे दुनिया लेकर अपना भी नाम।
खाना-पीना जागना-सोना सारे पशु भी करते हैं,
संतति जनते मोहपाश में सुख-दुख भी सहते हैं।
स्वार्थ-भाव तज सोचना परहित है मानव का काम,
लेकर न आए थे कुछ भी जग में,जा
ने से पहले करें कुछ ऐसा काम।
जो सार्थक हो जग में आना अपना,
याद करे दुनिया लेकर अपना भी नाम।
कुछ भी न अस्तित्व हमारा ,
यदि हैं हम नहीं समाज में।
व्यर्थ है शक्ति जो करे न परहित,
अर्थहीन वह शक्ति आज में।
तन-मन की शक्ति या दौलत की,
सार्थक तब जब आए किसी के काम,
लेकर न आए थे कुछ भी जग में,
जाने से पहले करें कुछ ऐसा काम।
जो सार्थक हो जग में आना अपना,
याद करे दुनिया लेकर अपना भी नाम।
चक्र समय का चलता रहता,
यह तो कभी न थमता है।
धन-बल सुख-दुख धूप छांव से,
सदा परिवर्तन होता रहता है।
शुभ कर्मों से है कीर्ति फैलती,
अशुभ कर्म करते हैं बदनाम।
लेकर न आए थे कुछ भी जग में,
जाने से पहले करें कुछ ऐसा काम।
जो सार्थक हो जग में आना अपना,
याद करे दुनिया लेकर अपना भी नाम।