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Lakshman Jha

Tragedy

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Lakshman Jha

Tragedy

सांत्वना

सांत्वना

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दर्द सहता हूँ

व्यथा को झेलता हूँ

कोई आके

सांत्वना

का लेप लगाये

पीठ को

थपथपाए

दुःख दर्द

सब कुछ भूल जाता !

हम नहीं दुःख बाँट सकते

पर यदि

हो भावना

हम अश्रुधारा पोछ सकते !

मन यही करता सभी का

कोई उसके पास आये

और उसको उर लगाये !

प्यार के बौछार से

दिल जीत लो

यह पुरानी

परम्परा

को सीख लो !!


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
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