सांत्वना
सांत्वना
दर्द सहता हूँ
व्यथा को झेलता हूँ
कोई आके
सांत्वना
का लेप लगाये
पीठ को
थपथपाए
दुःख दर्द
सब कुछ भूल जाता !
हम नहीं दुःख बाँट सकते
पर यदि
हो भावना
हम अश्रुधारा पोछ सकते !
मन यही करता सभी का
कोई उसके पास आये
और उसको उर लगाये !
प्यार के बौछार से
दिल जीत लो
यह पुरानी
परम्परा
को सीख लो !!
