साम्राज्य
साम्राज्य
साम्राज्य हिल उठते है
जब जब परिवर्तन की
बयार चलने लगती है।
तख्तों ताज गिर जाते है
जब जब विद्रोह की
ज्वाला भड़कने लगती है।
ये ऐशो आराम भी छिन जाता है
जब जब अपनो के भीतर
ईर्ष्या जन्म लेने लगती है।
न जाने कितने साम्राज्य बने
और बनकर समाप्त हो गए
केवल हमारे लिए
इतिहास बनकर रह गए
क्या मिला उनको विश्व विजेता बनकर
केवल दो ग़ज़ जमीन
और फिर राख का ढेर
हम क्यों ?
भाग रहे है इस भौतिक
संसार मे भौतिक सुविधाओ के लिए
अपनों से लड़ते हुए
आखिर बाद में मिलना क्या है
केवल दो गज़ ज़मीन----