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Vanita Saroha

Tragedy

4  

Vanita Saroha

Tragedy

साड़ी के रूप

साड़ी के रूप

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.......पहली दफ़ा ...

गज भर की साड़ी पहनी थी 

स्कूल की फ़ेयरवल पार्टी में..


.......वो साड़ी थी .....

आज़ादी की उड़ान

ख़ुद की इच्छा से बाँधी साड़ी

पाँव फँसा तो सबने कहा,

“ज़रा सम्भलकर”......


फिर पहनी ..

गज भर की साड़ी शादी के बाद

इस दफ़ा साड़ी को मैंने नहीं 

साड़ी ने मुझे बाँधा..


आज़ादी की उड़ान 

ज़मीं पर रोक दी गई

पाँव फँसा तो सबने कहा,

“इतना भी नहीं सम्भाल सकती”....


फ़क़त एक कपड़ा ही तो था

बस मायने बदल गए 

वक़्त के साथ..


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