रूठना
रूठना
रूठने मनाने के इस खेल में
कभी आत्म सम्मान मत खोना
इस मेल जोल में अपना गौरव मत खोना
अपने भोलेपन को रिश्तों में मत लाना
सामने वाला अति प्यारा हो तो दो चार मौका दे देना
बार -बार गर झुकना पड़े आपको, थोड़ा ठहर जाना
इस बंधन में अगर प्रेम ना हो, चिंतन जरूर कर लेना
आपकी वफ़ा जहाँ बेमोल हो, समझौता ना करना
गुंजाईश अगर जो बाकी हो, रूठना मनाना कर लेना
आपको जो बात बुरी लगे, मेरे को ही कहना
पीठ पीछे बोलने से तुम ए दोस्त बचना
प्यार अगर जो दिल में है, लफ़्ज़ों पे ले आना
अपने अंदर की बात, मेरे तक ही रखना
मान लो मेरी बात
जो खुद की इज्जत ना करे,दुनिया उसकी क़द्र नही करती
सोच समझ कर स्नेह के दरिया में कूदना |